17 से 19 दिसंबर तक दिल्ली के भारत मंडपम में पारंपरिक दवा पर एक इंटरनेशनल सेमिनार होगा। सेमिनार में हर तरह के लोग शामिल हों, यह पक्का करने के लिए मंगलवार को खुमलुंग रीजनल होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। इस दिन रिसर्च सेंटर के इंचार्ज डॉ. रतन चंद्र शील ने दूसरे डॉक्टरों के साथ मिलकर आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले सभी डॉक्टरों, हेल्थ वर्कर से लेकर आम जनता तक से WHO की वेबसाइट पर रजिस्टर करने और दो दिन के सेमिनार में हिस्सा लेने की अपील की।100 से ज़्यादा देशों से सेमिनार में हिस्सा लेने वाले डॉक्टरों के अनुभव, सुझाव और राय के आधार पर यह फैसला लिया जाएगा कि आयुष मंत्रालय के संबद्ध यूनानी, होम्योपैथी चिकित्सा प्रणालियाँ आम जनता के इलाज में और कैसे किया जा सकता है।
इसके अलावा, आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में भी कुछ जानकारी दी गई कि कैसे होम्योपैथी इलाज को आदिवासी इलाकों में आम लोगों के दरवाज़े तक पहुंचाया गया है, जिसकी शुरुआत 1984 में अगरतला में एक किराए के घर में एक क्लिनिकल रिसर्च यूनिट के तौर पर हुई थी और 2017 में यह रीजनल होम्योपैथिक रिसर्च सेंटर के तौर पर ADC की राजधानी खुमलुंग में आ गया।
































